वो है माँ…

आसमान के फरिश्ते ने

भेजी अनमोल सौगात

जो है धरती का सूरज

जो है हमारे घर का उजाला

हमारे सर्वस्व की पहचान

हमारे हर सपने का सच

हमारी खुशियों के खातिर

दुखों को भी गले लगाती है,   वो है माँ…….

ज़िंदगी की हर रेस में

हमारा हौसला बढ़ाती है माँ

हम पर छाये जो दुख के बादल

तो हम पर धूपसी खिल जाती है माँ

हम  निभाएं या ना निभाएं

अपना हर फर्ज निभाती है माँ

हमारी हर तकलीफ को मिटाती है

पर अपनी तकलीफ कभी नहीं जताती है माँ

शायद तभी भगवान से ऊपर आती है माँ

तब त्याग और वात्सल्य की मूरत ही माँ कहलाती है,     वो है माँ……

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